सुभाष चंद्र बोस ने अपनी आजादी के संघर्ष को कलमबद्ध करना चाहते थे।
वह दिन-रात जब वक्त मिलता खूब लिखते।
'द इंडियन स्ट्रगल' किताब उनकी इसी लिखने की आदत का नतीजा थी।
हालांकि, अपनी इस किताब को लिखने के लिए उन्हें किसी टाइपिस्ट की जरूरत थी,
जो तेजी से उनकी बातों को लिख सके।
वहां उनके एक दोस्त डॉ. माथुर ने इस काम में मदद की और दो लोगों को सुभाष के पास टाइपिस्ट की नौकरी के लिए भेज दिया।
इनमें से एक थी 23 साल की खूबसूरत ऑस्ट्रियाई लड़की एमिली शेंकल,
जिसे 37 साल के सुभाष पहली ही नजर में दिल दे बैठे थे। इसी दौरान दोनों के बीच प्यार पनपा।
सुभाष ने ही एमिली को किया था प्रपोज, फिर रिश्ते गहराते गए
सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के पोते सौगत बोस की किताब 'हिज मैजेस्टी अपोनेंट- सुभाष चंद्र बोस एंड इंडियाज स्ट्रगल अगेंस्ट एंपायर' में लिखा है
कि सुभाष की एमिली से मुलाकात के बाद बड़ा बदलाव आया।
26 जनवरी, 1910 को ऑस्ट्रिया के एक कैथोलिक परिवार में जन्मी एमिली कहती हैं
सुभाष ने मुझे प्रपोज किया और हमारे रिश्ते रोमांटिक होते गए।